पंचकूला – अंबाला शहर के सेक्टर 9 व 10 को बनाने के लिए की गई जमीन अधिग्रहण और मुआवजे में गोलमाल का मामला अफसरों के गले की फांस बन गया है। इस मुकदमे की जांच विजिलेंस (मौजूदा एंटी क्रप्शन ब्यूरो) के बाद इनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) ने की। इस मामले से संबंधित रिकार्ड जब्त कर आरोपी ठहराये गए अफसरों से भी जवाब तलब किया गया। ईडी ने अब इस मामले में चालान कोर्ट में पेश किया गया है। इस चालान में 9 अधिकारियों व अन्य का नाम शामिल किया गया है। इस मामले में डीआरओ कैप्टन विनोद शर्मा को भी पुलिस ने नामजद किया था, जबकि बाद में विजिलेंस की जांच क्लीन चिट दे दी गई थी। अब ईडी द्वारा इस मामले में चालान पेश होने के बाद यह मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है।
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पंचकूला पुलिस की एफआइआर में थे 15 नाम
अंबाला शहर के जंडली के आसपास बसे सेक्टर 9 व 10 की जमीन के मुआवजे को लेकर गड़बड़झाला हुआ था। इस मामले में पंचकूला के सेक्टर पांच थाने में 15 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई थी। इन में कानूनगो राजबीर सिंह, कमल नैन, धूप सिंह, कैप्टन विनोद शर्मा, एमएस सांगवान, बलजीत कौर, तरणदीप सिंह, विरेंद्र सिंह, गुरप्रीत कौर, ईश्वर सिंह, शेर सिंह, प्रीतम, गुलजार सिंह, करनैल सिंह और बलजीत सिंह को आरोपित बनाया गया था। यह मामला 28 अगस्त 2018 को दर्ज किया गया था। सूत्रों का कहना है कि इस मामले की जांच विजिलेंस ने भी की, जिसने इस मामले में जुड़े सभी आरोपितों से पूछताछ की। आरोप था कि मिलीभगत कर अवैध मुआवजा राशि प्राप्त की गई है। इसके बाद राशि को जमा करवाने को लेकर नोटिस भी जारी किए गए। कैप्टन विनोद शर्मा के पास उस समय पंचकूला का कार्यभार था और पुलिस अधीक्षक ने जांच की गई, जिसमें कैप्टन विनोद शर्मा को क्लीन चिट दे दी। 14 जनवरी 2022 को संबंधित स्वीकृत की गई मुआवजा बढ़ोतरी राशियों के संबंध में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारी व कर्मचारियों को शामिल तफ्तीश किया गया।
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यह मामला हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गया
मुआवजा राशि को लेकर यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गया था। मुआवजे की लड़ाई हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लड़ी गई, जबकि क्रिमिनल केस अलग से चल रहा है। 1 करोड़ 11 लाख, 27 हजार 157 रुपये की राशि के फर्जी वितरण के आरोप लगाए गए थे। बताया जाता है कि हाईकोर्ट ने जो मुआवजा राशि का आदेश दिया था, वह सुप्रीम कोर्ट में बदल गया था।
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जांच में हो चुकी है छह लाभार्थियों की मौत
इस केस में 9.70 करोड़ रुपये की एनहांस्ड मुआवजा राशि का वितरण किया गया था। यह राशि साल 2015 में जारी कर दी गई थी। इसी पर यह मामला उछला और पुलिस से होते हुए, विजिलेंस और अब ईडी के पास है। खास है कि इस सारी प्रक्रिया के दौरान छह लाभार्थी, जिनको यह एनहांस्ड मुआवजा राशि दी गई थी, उनकी मौत हो चुकी है। हालांकि एक लाभार्थी तरणदीप सिंह ने रिकवरी नोटिस मिलने के बाद 42.19 लाख रुपये तहसीलदार अंबाला को लौटा दिए थे।