गले में दूरबीन, पहली बार चुनाव में डटे धर्मेश सूद रिंकू ने डोर टू डोर प्रचार के जरिए मचाई धूम

AMBALA CANTT अंबाला छावनी के बाजारों और कालोन‍ियों में गले में दूरबीन लेकर घूम रहे आजाद प्रत्‍याशी धर्मेश सूद रिंकू ने डोर टू डोर प्रचार के जरिए धूम मचाई हुई है। बाजारों में उनके समर्थन में उमड़ती भीड़ इस बार छावनी की नुमाइंदगी में बदलाव का इशारा कर रही है। प्रचार के दौरान उन्‍होंने बरसात के बाद छावनी के बाजारों व रिहायशी कॉलोनियों में हुए जलभराव को लेकर राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर छावनी की जनता को केवल मुसीबतें ही मिली हैं। करोड़ों का विकास एक घंटे की बरसात में सड़कों पर बह जाता है। उन्होंने कहा कि जनता ने जीत का आशीर्वाद दिया तो सबसे पहले पानी निकासी जैसी बुनियादी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। वे बोले खोखले विकास ने कर दिया विनाश। छावनी के बाजारों व रिहायशी कॉलोनियों में घर-घर जाकर लोगों से वोट की अपील की। इस दौरान युवाओं व बुजुर्गों के साथ महिलाओं का जोश भी देखने लायक था। प्रचार के दौरान खासकर बुजुर्ग, युवा और महिलाओं ने अपने गली मोहल्लों की स्थिति र‍िंकू को दिखाई। उन्‍होंने बताया कि ज्यादातर रिहायशी बस्तियों की सड़कों को विकास के नाम पर तोड़कर छोड़ दिया गया। ज्यादातर रिहायशी बस्तियों की सड़कों को विकास के नाम पर तोड़कर छोड़ दिया गया। कई सड़कें तो महीनों बाद भी रिपेयर नहीं हो पाई। उन्होंने कहा कि कहीं पीने के पाइपलाइन डालने तो कहीं सीवरेज लाइन डालने के नाम पर सड़कें तोड़कर अधूरी छोड़ दी गई। इन बस्तियों के लोग अब सरकार को कोस रहे हैं। इस दौरान लोगों ने र‍िंकू को सड़कों पर जमा पानी भी दिखाया। टूटी सड़कों पर जमा कीचड़ की वजह से लोगों की मुश्किल देखकर र‍िंकू बोली छावनी की जनता नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। छावनी को अभी विकास की दरकार : धर्मेश सूद रिंकूअंबाला छावनी से निर्दलीय प्रत्याशी धर्मेश सूद रिंकू ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि हलके में अभी विकास की दरकार और अधिक है। अंबाला छावनी में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। नागरिक अस्पताल में सुरक्षा के नाम पर मात्र खानापूर्ति है, जबकि मरीजाें को प्राथमिक उपचार देकर रेफर कर दिया जाता है। यह साफ बताता है कि गंभीर मरीजों को नहीं संभाल सकते। दूसरी ओर बरसातों में क्या हाल हो जाता है, इसका सभी को पता है। कालोनियों में पानी भर जाता है। सबसे बुरा हाल टांगरी किनारे बसे लोगों के हैं, जहां पिछले साल दो बार बाढ़ आई। आज भी यह लोग सहमे हैं कि कहीं फिर से वही हालात न हो जाएं। उन्होंने कहा कि अंबाला छावनी में रोजगार को लेकर कुछ नहीं किया गया। ऐसा कोई प्रोजेक्ट नहीं आया, जिससे युवाओं को रोजगार मिल सके। शिक्षा महंगी है, जबकि निजी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की फीस कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान उनको हर वर्ग से समर्थन मिल रहा है।

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