सिरसा – हरियाणा में नशे का फैल रहा मकड़जाल का हॉट स्पाॅट राजस्थान और पंजाब से सटा सिरसा माना जा रहा है। हरियाणा पुलिस के आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि नशा तस्करी में हर जिला में हर स्तर का नशा उपलब्ध है। सिरसा जिला की बात करें, तो चूरापोस्त, अफीम, हेरोइन, गोलियां, कैप्सूल का नशा सबसे अधिक हो रहा है। इसी प्रकार दिल्ली और एनसीआर में चिट्टा (हेरोइन अथवा केमिकल ड्रग) की तस्करी भी बढ़ रही है। हरियाणा और पंजाब सरकार नशे के खिलाफ संयुक्त बठकें भी कर चुकी हैं, लेकिन फिर भी इस में पूर्ण रूप से कामयाबी नहीं मिल पा रही है। प्रदेश में इसके लिए हरियाणा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एचएनसीबी) का गठन किया गया है। एचएनसीबी ने छापामारी तो शुरू कर दी है, लेकिन संसाधनों के अभाव में ब्यूरो पूरी तरह से कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। अब पुलिस तस्करी की तह तक जाने के लिए जियोकोडिंग का इस्तेमाल करेगी। इससे तस्करी का सही पता चल पाएगा, जिसके आधार पर पुलिस अपनी रणनीति को तैयार करेगी।
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इस तरह से इन जिलों में पकड़ गया सबसे ज्यादा नशा
– साल 2019 में सबसे ज्यादा केस सिरसा में दर्ज किए गए हैं। प्रदेश में जितने केस दर्ज हुए हैं, उनमें से 22 प्रतिशत केस सिरसा में दर्ज हुए हैं।
– साल 2016 से 2019 तक प्रदेश में दर्ज होने वाले मामलों में से औसतन 15 प्रतिशत केस सिरसा में ही दर्ज हुए
– साल 2019 में चूरापोस्त सबसे ज्यादा सिरसा में पकड़ा गया, 2016 से 2019 तक औसतन केस 16 प्रतिशत- साल 2019 में सबसे ज्यादा गांजा पलवल में पकड़ा गया, 2016 से 2019 तक औसतन 25 प्रतिशत गांजा पकड़ा गया
– साल 2019 में चरस/सुल्फा सबसे ज्यादा करनाल में पकड़ा गया, 2016 से 2019 तक औसतन झज्जर में 16 प्रतिशत
– साल 2019 में अफीम सबसे ज्यादा सिरसा में पकड़ा गया, 2016 से 2019 तक औसतन 21 प्रतिशत
– साल 2019 में स्मैक सबसे ज्यादा जींद में पकड़ी गई, 2016 से 2019 तक औसतन 25 प्रतिशत
– साल 2019 में हेरोइन सबसे ज्यादा सिरसा में पकड़ी गई, 2016 से 2019 तक औसतन 32 प्रतिशत
– साल 2019 में गोलियां सबसे ज्यादा सिरसा में पकड़ी गईं, 2016 से 2019 तक औसतन 35 प्रतिशत
– साल 2019 में कैप्सूल सबसे ज्यादा सिरसा में पकड़े गए, 2016 से 2019 तक औसतन 30 प्रतिशत, यमुनानगर में 24 प्रतिशत तथा हिसार में 20 प्रतिशत
– साल 2019 में इंजेक्शन सबसे ज्यादा अंबाला में पकड़े गए, 2016 से 2019 तक औसतन 24 प्रतिशत
– साल 2019 में सिरप सबसे ज्यादा रोहतक में, 2016 से 2019 तक तक औसतन 34 प्रतिशत
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जियोकोडिंग से नशा तस्करी पर प्रहार की तैयारी
पुलिस द्वारा अब तक नशे के खिलाफ की गई कार्रवाई को और तीखा करेगी। अब इस के लिए जियोकोडिंग का इस्तेमाल होगा। इसके तहत डाटा इकठ्ठा किया जाएगा, जिसका विशलेषण कर कार्रवाई की रणनीति तैयार होगी। इस में पुलिस थाना स्तर व बीट स्तर पर जियोकोडिंग होगी। इसमें पता चल जाएगा किस जगह पर नशा तस्करी का खेल खेला जाता है। ऐसे ही डाटा इकठ्ठा करने के बाद आगामी रणनीति को तैयार किया जाएगा।