कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में एक निजी कंपनी के दो निदेशकों को 02-03 वर्ष की कठोर कारावास के साथ निजी कम्पनी बीएस इस्पात लिमिटेड सहित दोषियों पर कुल 70 लाख जुर्माने की सजा सुनाई

Delhi: नामित अदालत ने कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में एक निजी कंपनी के दो निदेशकों को 02-03 वर्ष की कठोर कारावास के साथ निजी कम्पनी बी.एस. इस्पात लिमिटेड सहित दोषियों पर कुल 70 लाख रु. जुर्माने की सजा सुनाई

सीबीआई कोयला मामले – 2, राउज़ एवेन्यू कोर्ट, नई दिल्ली के विशेष न्यायाधीश ने आज महाराष्ट्र राज्य में स्थित मार्की-मंगली-I कोयला ब्लॉक के फर्जी आवंटन से संबंधित एक मामले में दो आरोपियों यथा मोहन अग्रवाल और राकेश अग्रवाल, दोनों नागपुर स्थित निजी कंपनी मैसर्स बी.एस. इस्पात लिमिटेड के निदेशक को 02-03 वर्ष की कठोर कारावास(आरआई) के साथ उक्त निजी कंपनी पर 50 लाख रु. के जुर्माने सहित कुल 70 लाख रु. का जुर्माना लगाया। आरोपी मोहन अग्रवाल को 03 वर्ष की कठोर कारावास के साथ 10 लाख रु. का जुर्माना और राकेश अग्रवाल 02 वर्ष की कठोर कारावास के साथ 10 लाख रु. जुर्माने की सजा सुनाई।

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने दिनाँक 31.03.2015 को मामला दर्ज किया जिसमे आरोप है कि आरोपी व्यक्तियों ने कोयला ब्लॉक के लिए आवेदन जमा करते समय एवं कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए आवेदन पर कार्रवाई के दौरान कंपनी के अस्तित्व के बारे में गलत जानकारी पेश। कोयला ब्लॉक को 3 लाख टन, प्रति वर्ष क्षमता के प्रस्तावित स्पंज आयरन प्लांट में कैप्टिव उपयोग हेतु आवंटित किया गया था। यह आरोप है कि मैसर्स बी.एस. इस्पात लिमिटेड ने महाराष्ट्र राज्य में स्थित मार्की-मंगली-I कोयला ब्लॉक के आवंटन हेतु निदेशक मोहन अग्रवाल के माध्यम से एमओसी(MoC) को दिनाँक 28.06.1999 को एक आवेदन पेश किया। इसी प्रकार, राकेश अग्रवाल, मैसर्स बी.एस. इस्पात लिमिटेड के निदेशक के तौर पर मार्की-मंगली-I कोयला ब्लॉक का आवंटन प्राप्त करने हेतु एमओसी के साथ-साथ अन्य संस्थानों के साथ पत्राचार किया। यह भी आरोप है कि कंपनी मैसर्स बी.एस. इस्पात लिमिटेड ने कोयले को जिस उद्देश्य हेतु आवंटित किया गया था, उसके अलावा अन्य उद्देश्य के लिए इसका उपयोग किया।

महाराष्ट्र राज्य में स्थित मार्की-मंगली-I कोयला ब्लॉक को एमोसी की 15वीं स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा मैसर्स बी.एस. इस्पात लिमिटेड के पक्ष में आवंटित किया गया था। वर्तमान मामले में प्राथमिकी संख्या आरसी 221 2015 ई 005 की प्रारंभिक जांच के निष्कर्ष के अनुसार दर्ज की गई थी, जो केंद्रीय सतर्कता आयोग के संदर्भ पर सीबीआई द्वारा शुरू की गई थी। कोयला आवंटन मामलों की जांच की निगरानी, भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की जाती है।

जांच के पश्चात, सीबीआई ने दिनाँक 24.07.2018 को उपरोक्त तीनों आरोपियों के विरूद्ध आरोप पत्र दायर किया। 

माननीय अदालत ने कंपनी मैसर्स बी.एस.इस्पात लिमिटेड एवं दो निदेशक अर्थात् मोहन अग्रवाल और राकेश अग्रवाल के विरुद्ध आरोप तय किए। सीबीआई अभियोजन दल ने आरोपों के समर्थन में 31 गवाहों से पूछताछ की।
माननीय विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) (सीबीआई) (कोल ब्लॉक मामले), आरएडीसी ने दिनांक 27.05.2024 के निर्णय द्वारा तीनों आरोपियों यथा मैसर्स बी.एस. इस्पात लिमिटेड, मोहन अग्रवाल व राकेश अग्रवाल को दोषी ठहराया एवं इस मामले में आज सजा सुनाई गई।

Author

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *